हाय! गुन्डे-मवाली लोग सियादत1 कर रहे हैं
कैसे-कैसे लोग यहां सियासत कर रहे हैं
बिठाकर इनको अपनी सर-आँखों पर हम
क्यों खराब इनकी आदत कर रहे हैं
ये सियादत की कमी नहीं है तो क्या है
समझाओ,लोग क्यों बगावत कर रहे हैं
कैसे हो यकीं उनकी वतन-परस्ती पर
वे तो दहशतगर्दों की हिमायत कर रहे हैं
दीमक जैसे होते हैं ये सियासी लोग भी
बयां हम सच्ची हिकायत2 कर रहे हैं
हमें नहीं लगता कि शिकायत दूर होगी
हम उन्हीं से उनकी शिकायत कर रहे हैं
‘अनुज' हिंदुस्तां कर्ज़दार है उन मां‘ओं का
जिनके लाल हमारी हिफ़ाजत कर रहे हैं
1.नेर्त्तव,सरदारी 2.कहानी
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2
क्या था और क्या हो गया हिन्दुस्तान, बापू देखने चले आओकैसे -कैसे हाथों में है तेरे देश की कमान, बापू देखने चले आओ
सत्य-अहिस्सा,त्याग-तपस्या की दी थी आपने हमको शिक्षा
इसपे अमल करना छोड़ गया क्यूं इन्सान, बापू देखने चले आओ
पश्चिमी हवा चल रही है बापू , हर चीज यहां की बदल रही है बापू
हर दिन हो रहा है छोटा नारी का परिधान, बापू देखने चले आओ
शहीदों की तस्वीरें लगी मिलती नहीं अब किसी घर की दीवारों पर
ले लिया अब फिल्म स्टार,क्रिकेटरों ने इनका स्थान, बापू देखने चले आओ
ईमानदारी धीरे-धीरे दम तोड़ रही हैबापू संस्कार धीरे-धीरे मर रहे हैं
महिलाओं की कदर है न यहां बुर्जुगों का सम्मान, बापू देखने चले आओ
अफसोस! वतन के लिए वक्त है ही नहीं आज कल के आदमी के पास
खुद तक ही महदूद हो गया क्यूं आज का इंसान, बापू देखने चले आओ
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3
अगर मैं अपनी जुबान से जाउंयार मिरे अपनी जान से जाउं
होने लगे अगर खुद पे गुमान
यार मैं अपनी पहचान से जाउं
दिल रोक लेता है परदेस जाने से
जब भी सोचूं कि हिंदुस्तान से जाउं
तमन्ना है लिपटा हो तिरंगा मुझपे
जब भी मैं इस जहान से जाउं
जो यहां है वो कहां मिलेगा
घर छोड़ू क्यूं हिंदुस्तान से जाउं
वतन के काम न आउं तो खुदा
मान से अपने सम्मान से जाउं
अनुज करूं गर दुखी किसी को
खुदा करे मैं मुस्कान से जाउं
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4
दिल किसी से प्यार, ना करउम्मीदें तार-तार, ना कर
ना कह दी तो दिल टूटेगा
ऐसा कर इजहार, ना कर
आते हैं कब जाने वाले
किसी का इंतजार, ना कर
इश्क करके किसी से तू
जीवन को दुश्वार, ना कर
सादा-सादा रख खुदको
ज्यादा हुशियार, ना कर
हरेक पर यकीं करने की
गलती बार-बार, ना कर
दिल में रख दिल की बातें
आँखों को आबसार, ना कर
जहां तो हैं तमाशबीनों का
खुद से यूं तकरार, ना कर
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डॉ.अनुज नरवाल रोहतकी