डॉ.प्रिया सैनी की दो कविताएँ


नाम: डॉ.प्रिया सैनी

शिक्षा: बी.ए. (हिन्दी- ऑनर्स), एम.ए. (हिन्दी), बी.एड., पी.एच.डी. (हिन्दी linguistics )

प्रकाशन: "साहित्यकुञ्ज","अनुभूति",और"कलायन"वेब-पत्रिकाओं में प्रकाशित "आराधन" काव्य संग्रह प्रकाशित

सम्प्रति: होशियारपुर (पंजाब) कॉलेज में लेक्चरार

सम्पर्क: drpriyasaini@gmail.com
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कुछ तो बोलो....

मेरे भीतर उतरती है 
तेरे प्यार की रोशनी 
कुछ इस तरह 
यूँ चली आए 
धूप 
अँधेरी गुफाओं की 
ज़मीन तक 
सदियों से बंद हैं
कुछ बीती कहानियाँ
कुछ तड़पते एहसास 
कुछ 
सपने अपने
चलो
आज फिर से इन्हें 
मुक्त करें...!
फिर नई कहानी 
की तलाश में 
मन आकाश से 
युक्त करें....!
सुनो..! चलोगे मेरे साथ...
किसी और गहराई में...
बंद गुफा से निकल कर...
आकाश की ऊंचाई में...
अपना मन तो टटोलो...
बोलो...
कुछ तो बोलो....!!! 
 ***

मन तो है बंजारा

यह लाल सा नीला पीला
हरा सा बावरा मन 
तो है गुब्बारा
किसी पंछी सा बेचैन 
पागल बंजारा 
तेरे मन आँगन 
में भूला 
राह राह भटका 
जाने कहाँ अटका 
आज तक न लौटा 
दीवाना बेचारा 
सुनो... कहीं खोजो न......
वहीँ कहीं रखा तुम ने 
होंठों से लगा कर...
सुनो....वहीँ देखो न....
जहाँ कहीं छोड़ा तुम ने 
सीने में छुपा  कर...
मैं भी पगली नदिया सी 
दीवानी
अपने सागर की तलाश में 
यहाँ तलक आनी 
सुनो..! अब बस करो...
सीने से लगा लो...
मेरी यायावरी की 
इतनी तो सजा दो....
होंठों से लगा लो...
अब तो  
होंठों से लगा लो....!!!
***

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21 Responses to डॉ.प्रिया सैनी की दो कविताएँ

  1. शानदार पोस्ट

    ReplyDelete
  2. शानदार पोस्ट

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  3. मन तो आवारा सा पंछी दूर तक भटका किया,
    इसमें क्‍या क्‍या चल रहा है, आज तुमसे कह दिया।
    अतृप्ति का भाव लिये दोनों कविताओं में सशक्‍त अभिव्‍यक्ति है।

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  4. SEEDE- SAADE SHABDON MEIN SEEDE -SAADHE BHAAV
    ACHCHHE LAGE HAIN.BADHAAEE AUR SHUBH KAMNAAYEN.

    ReplyDelete
  5. अति सुन्दर ......
    सद्भावी -डंडा लखनवी

    ReplyDelete
  6. पहली कविता:

    चलो आज फिर से इन्हें
    मुक्त करें...!
    फिर नई कहानी
    की तलाश में
    मन आकाश से
    युक्त करें....!

    स्वर्गानन्द समर्थित मौन को शाब्दिक होजाने का निहोरा करती अनुभूतियाँ अप्रतीम व्याकुलता के साथ नवीन विवेचनाओं की उन्मुक्त खोज में हैं. इस सार्थक किन्तु गूढ़ प्रक्रिया को शब्द देने हेतु कवयित्री को मेरा हार्दिक अभिनन्दन..


    दूसरी कविता:

    अनंत काल की यायावरी को इतनी प्रतिष्ठा? कैसे कहें जीवन का लक्ष्य अनंत मौन है.. उन्मुक्तता है.. मोक्ष है..? जीवन है तभी मोक्ष है. इस साहसी अभिव्यक्ति को सादर स्वीकृति.

    इतनी गूढ़ मनोदशाओं को रचनाबद्ध करने के क्रम में सहज शब्दों का प्रयोग. धन्यवाद..

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  7. बहुत सुन्दर कविताएँ हैं!

    ReplyDelete
  8. आपकी रचना अच्छी लगी. आपके गीत को पड़कर मुझे देश के प्रख्यात कवी रामावतार त्यागी की पंक्तियाँ याद आ रहीं हैं.
    हम ऐसे बंजारे
    जो आंसू की खातिर धोते अंगारे

    मैंने भी लिखा है

    हम गीत प्यार के गाते हैं
    हम क्रांति बिगुल बजाते हैं
    परिवर्तन के अग्रदूत हम
    पानी में आग लगते हैं.

    सुंदर गीत के लिए बधाई.

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  9. रचना अच्छी लगी, कवयित्री को हार्दिक शुभकामनाएं !

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  10. सुन्दर और सहज कविताएं !

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  11. पहली कविता:

    चलो आज फिर से इन्हें
    मुक्त करें...!
    फिर नई कहानी
    की तलाश में
    मन आकाश से
    युक्त करें....!!!!!!
    Priya jee..behadd sunder aur guuud rachna. badhai sweekar karen.

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  12. Manyavar,
    Main sabhi mitron ko Tahe dil se Dhanyavaad dena chahti hoon...jinhon ne mere bhavo, shabdon ko saraha, maan diya...!!! Bahut Bahut Dhanyavaad!!!
    Vaisy sab se pahle Shukriya ke haqdaar to Narender ji Hain...!!!

    ReplyDelete
  13. प्रिया जी आपकी दोनों कविताएँ अत्यंत प्रभावशाली हैं.....

    किसी और गहराई में...
    बंद गुफा से निकल कर...
    आकाश की ऊंचाई में...
    अपना मन तो टटोलो..
    इन पंक्तियों में अनुग्रह बहुत सार्थक रूप से परिलक्षित होता है....

    सुन्दर रचनाओं के लिए आभार

    ReplyDelete
  14. दोनों ही कविताएं मन के एहसासों को झिन्झूरती हुई.

    ReplyDelete
  15. दोनों ही रचनाएँ मौलिक और विलक्षण हैं...मेरी बधाई स्वीकार करें...

    नीरज

    ReplyDelete
  16. bahut hi sunder kavita hain
    yeh aap ki vilakshan prathiba ka darpan hain
    aap ki kitab mein prakashit kavitayen bhi bahut anupam lagi.
    sader dhanyavaad sahit naman

    ReplyDelete
  17. Aap sab sudhi jano ka tahe dil se Dhanyavaad !!!

    ReplyDelete
  18. बहुत अच्छा....मेरा ब्लागः"काव्य कल्पना" at http://satyamshivam95.blogspot.com .........साथ ही मेरी कविता "हिन्दी साहित्य मंच" पर भी.......आप आये और मेरा मार्गदर्शन करे...धन्यवाद

    ReplyDelete

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