नवनीत पाण्डे की दो कविताएँ

नवनीत पाण्डे राजस्थानी और हिंदी में गद्य और पद्य की दोनों विधाओं में समान गति से लिखते हैं. आपकी 'सच के आस-पास' हिंदी कविता संग्रह और 'माटी जूण' राजस्थानी उपन्यास के अलावा बाल साहित्य की भी कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं. राजस्थानी कहानी संग्रह व हिंदी कविता संग्रह निकत्क भविष्य में हमारे समक्ष होगा. इन दिनों आप अपने ब्लॉग 'poet of india' में लिखते हैं. वर्तमान में आप भारत संचार निगम लिमिटेड के बीकानेर कार्यालय में अपनी बहुमूल्य सेवाएँ दे रहे हैं

माँ हंसकर टाल जाती है

नानी ने जो सुनाई थी माँ को
उसके बचपन में
मुझे माँ ने वही कहानियाँ सुनाई
मेरे बचपन में
क्या कहानियाँ थी, क्या थे कथानक
कितने अजीब, कितने भयानक
कहीं भी, कुछ भी हो जाता था अचानक
समझ नहीं पाते थे,
कितने प्रश्न आते थे..
माँ हंस कर टाल जाती थी
बस, कहानी कहती जाती थी...
माँ आज भी कहाँ बताती है
हंस कर टाल ही तो जाती है...
कहानी और कहानियाँ
बनती ही जाती है...
*******

क्या है उत्तर इस अनुत्तरित प्रश्न का

आज फ़िर फ़ेंक गया
कि फ़ेंक गयी
अलसुबह कि
आधी रात को
पता नहीं, कब?
एक नवजात
शहर के सुनसान इलाके में
मरा कि अधमरा
करता संघर्ष मृत्यु से
आज फ़िर हुयी भीड
गढी चटकारे ले ले कर
तरह-तरह की कहानियाँ, बातें
कोसा निर्दयी बिनब्याही मां को
(सारी फ़ब्तियां, गालियां, फ़तवे)
सिर्फ़ उस मां को
किसी ने कुछ भी न कहा
उस
मक्कार धोखेबाज़ कसूरवार पिता को
क्या हो गया है
इस आदम जात को?
आखिर कब तक और क्यूं
नवजातों को यूं फ़ेंका, मारा जाएगा
उसे पाप पुकारा जाएगा
क्या सचमुच ही यह पाप है?
यह कैसा इंसाफ़ है?
एक मनचाहे सम्बन्ध की
क्या होगी हमेशा
यही परिणिति
एक निरपराध, असहाय
मासूम नवजात की
ऎसी गति, दुर्गति?
क्या कभी बदल पाएंगे हम
अपनी यह मति-वृति?
क्या है उत्तर
इस अनुत्तरित प्रश्न का
आखिर कब तक
भुगतेगा परिणाम
एक नवजात
एक क्षणिक आवेग, एक व्यसन का?
*******

Posted in . Bookmark the permalink. RSS feed for this post.

5 Responses to नवनीत पाण्डे की दो कविताएँ

  1. जीवन की विद्रूपताओं पर अच्‍छे सवाल उठाए हैं। बधाई।

    ---------
    पति को वश में करने का उपाय।
    विज्ञान प्रगति की हीरक जयंती।

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर कवितायेँ...बधाई.

    ReplyDelete
  3. बेहतरीन रचनाएँ!

    ReplyDelete
  4. खूबसूरत भावभीनी और हृदयस्‍पर्शी कवितायें।

    ReplyDelete

आपकी अमूल्य टिप्पणियों के लिए कोटिशः धन्यवाद और आभार !
कृपया गौर फरमाइयेगा- स्पैम, (वायरस, ट्रोज़न और रद्दी साइटों इत्यादि की कड़ियों युक्त) टिप्पणियों की समस्या के कारण टिप्पणियों का मॉडरेशन ना चाहते हुवे भी लागू है, अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ पर प्रकट व प्रदर्शित होने में कुछ समय लग सकता है. कृपया अपना सहयोग बनाए रखें. धन्यवाद !
विशेष-: असभ्य भाषा व व्यक्तिगत आक्षेप करने वाली टिप्पणियाँ हटा दी जायेंगी।

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

About this blog

आखर कलश पर हिन्दी की समस्त विधाओं में रचित मौलिक तथा स्तरीय रचनाओं को स्वागत है। रचनाकार अपनी रचनाएं हिन्दी के किसी भी फोंट जैसे श्रीलिपि, कृतिदेव, देवलिस, शुषा, चाणक्य आदि में माईक्रोसोफट वर्ड अथवा पेजमेकर में टाईप कर editoraakharkalash@gmail.com पर भेज सकते है। रचनाएं अगर अप्रकाशित, मौलिक और स्तरीय होगी, तो प्राथमिकता दी जाएगी। अगर किसी अप्रत्याशित कारणवश रचनाएं एक सप्ताह तक प्रकाशित ना हो पाए अथवा किसी भी प्रकार की सूचना प्राप्त ना हो पाए तो कृपया पुनः स्मरण दिलवाने का कष्ट करें।

महत्वपूर्णः आखर कलश का प्रकाशन पूणरूप से अवैतनिक किया जाता है। आखर कलश का उद्धेश्य हिन्दी साहित्य की सेवार्थ वरिष्ठ रचनाकारों और उभरते रचनाकारों को एक ही मंच पर उपस्थित कर हिन्दी को और अधिक सशक्त बनाना है। और आखर कलश के इस पुनीत प्रयास में समस्त हिन्दी प्रेमियों, साहित्यकारों का मार्गदर्शन और सहयोग अपेक्षित है।

आखर कलश में प्रकाशित किसी भी रचनाकार की रचना व अन्य सामग्री की कॉपी करना अथवा अपने नाम से कहीं और प्रकाशित करना अवैधानिक है। अगर कोई ऐसा करता है तो उसकी जिम्मेदारी स्वयं की होगी जिसने सामग्री कॉपी की होगी। अगर आखर कलश में प्रकाशित किसी भी रचना को प्रयोग में लाना हो तो उक्त रचनाकार की सहमति आवश्यक है जिसकी रचना आखर कलश पर प्रकाशित की गई है इस संन्दर्भ में एडिटर आखर कलश से संपर्क किया जा सकता है।

अन्य किसी भी प्रकार की जानकारी एवं सुझाव हेत editoraakharkalash@gmail.com पर सम्‍पर्क करें।

Search

Swedish Greys - a WordPress theme from Nordic Themepark. Converted by LiteThemes.com.